बिलासपुर
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) प्रणाली की स्थापना से वर्तमान वित्तीय के 10 महीनों में 34 लाख लीटर से भी अधिक डीजल की बचत की गई है। अत्याधुनिक हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की 19 ट्रेनें हरित यानी ग्रीन ट्रेन हो गई है। अब ये ट्रेनें महंगे डीजल ईंधन को जलाने की बजाय ओवर हेड उपकरण (ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली ले रही है।
एचओजी इंजन से सीधे इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पावर केबल की शक्ति का उपयोग करके प्रकाश और एयर कंडीशनिंग के लिए कोचों को विद्युत आपूर्ति करने की एक प्रणाली है। एलएचबी आधारित ट्रेनों के कोचों के लिए विद्युत उत्पादन के सबसे आम तरीके को एंड ऑन जेनरेशन (ईओजी) कहा जाता है। प्रत्येक एलएचबी गाड़ियों पर कोचों को विद्युत आपूर्ति करने के लिए डीजल इंजन ले जाने वाली पावर कार के दो सेट होते थे जिसमें कोच में लाइट और एयर कंडीशनिंग के लिए बिजली की आपूर्ति ट्रेन के दोनों सिरों पर लगाए गए विद्युत कारों में उपलब्ध डीजल जेनरेटर सेट के माध्यम से की जाती है। अब इन सभी 19 ट्रेनों में इंजन के माध्यम से ओवर हेड उपकरण (ओएचई) से विद्युत की सप्लाई की जा रही है।
एचओजी) प्रणाली आधारित ट्रेनें
बिलासपुर-चेन्नई एक्सप्रेस, बिलासपुर-पुणे एक्सप्रेस, बिलासपुर-एनार्कुलम एक्सप्रेस, बिलासपुर-पटना एक्सप्रेस, बिलासपुर-भगत की कोठी एक्सप्रेस, बिलासपुर-बीकानेर एक्सप्रेस, सम्पर्क क्रांति एक्स्प्रेस, दुर्ग-निजामुद्दीन, हमसफ? एक्स्प्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी एक्स्प्रेस, दुर्ग-फिरोजपुर अंत्योदय एक्स्प्रेस, कोरबा-रायपुर, हसदेव एक्सप्रेस, दुर्ग – नौतनवा एक्सप्रेस, दुर्ग -कानपुर बेतवा एक्सप्रेस, दुर्ग – नौतनवा, दुर्ग – अजमेर एक्सप्रेस, कोरबा-अमृतसर, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, दुर्ग-जयपुर एक्सप्रेस, दुर्ग-उधमपुर एक्सप्रेस एवं दुर्ग-भोपाल अमरकंटक एक्सप्रेस शामिल है।