भोपाल.
चुनावी साल में मध्यप्रदेश सरकार ने धार्मिक शहरों के विकास को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत प्रदेश के मंदिरों के साथ धार्मिक शहरों का कायाकल्प किया जाएगा। इनके विकास की रूपरेखा धार्मिकता के आधार पर तैयार की जाएगी। अर्बन प्लानिंग में इस बात पर जोर रहेगा कि धार्मिक स्थलों और उसके आसपास के क्षेत्रों को री-डेवलपमेंट के साथ संरक्षित किया जाए। जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम बेस्ड ऑनलाइन मास्टर प्लान में ही संबंधित शहर की हर जानकारी फीड रहेगी।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) के अफसरों ने बताया कि मध्यप्रदेश के धार्मिक शहरों को लेकर पहली बार ओंकारेश्वर मास्टर प्लान 2031 तैयार किया गया। इसी आधार पर अन्य शहरों का मास्टर प्लान बनाया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे धार्मिक स्थलों का भी डेवलपमेंट प्लान बनेगा, जो कस्बों की सूची में शामिल हैं। मास्टर प्लान में श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर प्रमुख मठ-मंदिर, नदियां, पार्किंग, प्लेस मेकिंग, पार्किंग और रोप-वे को लेकर अर्बन प्लानिंग पर जोर होगा।
रोप-वे कनेक्टिविटी का बिछेगा जाल, ताकि न लगे जाम
मध्यप्रदेश में ऐसा पहली बार होगा, जब सामान्य परिवहन के लिए भी रोप-वे के लिए प्रावधान किए जाएंगे। अभी तक प्रदेश में ऊंचाई पर स्थित स्थलों के लिए रोप-वे का उपयोग किया जाता था। टीएंडसीपी के अधिकारियों ने बताया कि धार्मिक स्थलों पर त्योहार और विशेष तिथियों पर लाखों की भीड़ उमड़ती है। ऐसे में धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि जाम जैसी स्थिति बन जाती है। लिहाजा, इस समस्या के निदान के लिए रोप-वे कनेक्टिविटी का उपयोग किया जाएगा।
बाहर भी प्रदूषण की मिलेगी रियल टाइम जानकारी
धार्मिक शहरों के मास्टर प्लान को लेकर टीएंडसीपी पहली बार पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रावधान कर रहा है। इसमें रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए बोर्ड भी लगाए जाएंगे। साथ ही, इसकी जानकारी भी जीआईएस बेस्ड प्लान में ऑनलाइन मिलेगी। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के लिए भी मास्टर प्लान में लेयर का प्रावधान किया जाएगा।