साढ़े 9 माह में 2 लाख 60 हजार से अधिक लोगों के स्वास्थ्य की जांच एवं इलाज किया गया

महासमुंद

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना के तहत महासमुन्द सहित विकासखण्ड बागबाहरा, बसना, सरायपाली और पिथौरा में हर हफ्ते लगने वाली हाट-बाजार में क्लिनिक स्वास्थ्य शिविर में जांच और इलाज की सुविधा मुहैया कराया जा रहा है। वहीं मरीजों को त्वरित रूप से आधारभूत स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही है। जिले 1 अप्रैल 2022 से 16 जनवरी 2023 तक (साढ़े 9 माह में) 84 हाट बाजारों में 3159 चिकित्सक दल की टीम गयी। 2 लाख 60 हजार 559 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनको दवाईयां दी गयी।

इस योजना से ग्रामीणों को अधिक से अधिक लाभ हो इसके लिए समय-समय पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर नुक्कड़ नाटक/कलाजत्था के माध्यम से स्थानीय भाषाओं में शिविर के बारे में लोगों को जानकारी देकर जन जागरूकता निर्मित की जाती है। कोरोना काल के चलते चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मी इस महामारी से लोगों के स्वास्थ्य रक्षा में लगे होने एवं लॉकडाउन के कारण इस योजना पर भी असर पड़ा। जिले के विकासखंड बागबाहरा के अंतर्गत आने वाले ग्राम चुरकी, खट्टी, तुसदा आदि के साप्ताहिक हाट-बाजार में आये ग्रामीणों से बात करने पर उन्होंने बताया कि शासन की यह योजना बहुत ही फायदेमंद है। इस योजना के बारे में ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब हमारे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार ने खुद उठा ली है। परिवार के सदस्यों को भी स्वास्थ्य जांच के लिए बाजार में लगे हाट-बाजार में भी लाते हैं। हाट-बाजार में नियमित क्लिनिक लगने से अब पहले की अपेक्षा भीड़ बढ़ी है। ग्रामीण अपनी दैनिक उपयोग की सामग्री क्रय करने हेतु साप्ताहिक बाजार में आते हैं। जहां खरीदी के साथ-साथ वे अपने स्वास्थ्य की भी जांच करवा लेते हैं। दुर्गम इलाकों के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना किसी देवदूत से कम नहीं है।

छत्तीसगढ़ राज्य में शुरू की गई मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जन-जन तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएॅ पहुंचाने के उद्देश्य से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती (02 अक्टूबर 2019) पर पूरे प्रदेश में यह योजना लागू की। प्रदेश के कई जिले की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में न जाने कितने ऐसे इलाके हैं, कितने गांव हैं, जहां से निकलकर जिला मुख्यालय तक की दूरी तय कर इलाज के लिए अस्पताल आना लोगों के लिए बेहद कठिन काम होता था। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को लेकर होती थी, यहां प्रत्येक दिन मलेरिया से लेकर दूसरी अन्य बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले लेती है। गर्भवती महिलाओं के लिए इन इलाकों से निकलकर अस्पताल आना बेहद कठिन काम होता था। इस योजना में स्वास्थ्य अमला हाट-बाजारों में शिविर लगाकर लोगों का इलाज करने के साथ ही नि:शुल्क दवाईयां भी उपलब्ध कराते हैं। इससे ग्राम के ही नजदीक ग्रामवासी अपने स्वास्थ्य का परीक्षण और उपचार कराते हैं।

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